कल 7 दिसंबर थी आज से करीबन 313 साल पहले आज ही के दिन चमकौर के लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह जी के ये दो बड़े बेटे शहीद हुए थे हुआ यु था की अनंतसाहिब की लड़ाई के बाद गुरु गोबिंद सिंह अपने दोनों बेटो और अपने सिपाहियों के साथ चमकौर के क़िले पर पहुंचे दुश्मन ने उनको चारो तरफ से घेर लिया और जान भुज कर वो महल से दूर खड़े हो गाये तांकि गुरु साहब बहार आने को मजबूर हो जाए पर गुरु के सिंघो ने दूसरी योजना बनायीं जिसके तहत हर बार 5 सिंह घोड़ो पर जा कर दुश्मन से लड़ते और मारे भी जाते पर मरने से पहले मुग़लिया फ़ौज के सिपाहियों की लाशे बिछा देते जब बाबा अजित सिंह लड़ने को पहुंचे तो जो सामने आया उसको काटते गाये खुद सेनापति वज़ीर खान भी उनके हाथो मरते मरते बचा और मरने से पहले गुरु का सिंह कई मुग़लियो की लाशे बिछा गाय अजित सिंह को मरने के लिए भी दूर से तीर चलाये गये क्यूंकि सामने आने की हिमत किसी के पास नहीं थी
अजित सिंह जी के बाद झुझार सिंह जी मैदान में गाये अभी उनकी मर छोटी पर उन् में दम बाड़ा था अपने एक बेटे को खो चुके गुरु साहब जी ने झुझारू सिंह जी को आशीर्वाद दिया फिर 5 सिंघो के साथ झझारू सिंह जी भी निकल पडे जल्द ही उनके 4 साथी मारे गए और झुझार सिंह जी घोड़े से गिर पडे वह खड़ा एक सिपाही चिलाय तू बचा हम शेरो का मुक़ाबला करेगा झज्जार सिंह ने कहा की आज 20 मुघलो का शिकार करूंगा और ऐसा ही हुआ अकेले होते हुए भी 20 मुग़ल मार कर ही मारे
सच में उन्होंने ने साबित कर दिया की वो गुरु गोबिंद सिंह के बेटे और गुरु तेग बहादुर दे पोते सन्न
"बेख़ौफ़ जिन्दे आ बेख़ौफ़ मरदे आ क्यूंकि असी गुरु दे सिंह आ"
बोले सो निहाल सत्सृअकाल
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