एक बात तो मानने वाली हैं की राजनीती ने ना तो धर्म देश और जातीय बल्कि शिक्षण संसथान और जुडिशरी को भी नही बक्शा सबको अपनी चपेट में लेने की कोशिश की और अभी पेचले कई सालो से खास तौर पर 2016 के बाद से ये देखने में आया है की आज कल विश्वविद्यालय जो की पढाई की जगह होते हैं वह पर पढाई की कम और वह विचारधाराओ की लड़ाई ने ले ली हैं पहले दिल्ली की प्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी फिर पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी और अब उत्तरप्रदेश की अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ये ३ यूनिवर्सिटीया जो की अपनी पढाई के लिए जानी जाती है वह के स्टूडेंट्स और कुछ बहार के तबको इन्हें लड़ाई का अखाडा बना के रख दिया हैं और इसमें सब लोगो की बराबर भागीदारी हैं लगत्ता कुछ स्टूडेंट्स यूनियन कसम खा कर बैठे है की विचारधाराओ का टकराव हो क्र ही रहेगा.
अभी कुछ ही दिन पहले अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (जिसे एक बहुत बाड़े भारतीय विद्वान सर सएद अहमद खान जी ने बनाया था) में तब विवाद खाडा हो गाया जब वह के स्टूडेंट्स यूनियन हॉल के दफ्तर में पाकिस्तान के पहले गवर्नर गेंरेअल मुहम्मद अली जिन्नाह की तस्वीर को ले क्र कुछ लोगो ने ऑब्जेक्शन खाद किया हालाँकि ये फोटो अभी की नही 80 साल पहले लगी थी 1938 में जब जिन्नाह को वह की यूनिवर्सिटी के यूनियन वालो ने आजीवन सदस्यता दी थी हालाँकि ये बहुत बाड़ा सच हैं की पहले सदस्यता 1920 में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को मिली थी बाद डॉ सीवी रमण जी को और कई भारत के महापुरषों को और अभी कुछ ही दिन पहले भारत के पूर्व उप राष्टपति श्री हामिद अंसारी जी को भी जो खुद इस यूनिवर्सिटी के एक छात्र रह चुके है बाद में हामिद अंसारी जी के कार्यकर्म के वक़्त ही वह एक हंगामा हुआ जब कुछ लोग जिन्नाह की फोटो उतरने के लिए आ गए और यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ मार पीट की और फिर बाद में पुलिस के लाठी चार्ज भी हुआ जिसमें कई छात्र घायल भी हो गाये
वह के छात्र संग के नेता कहते हैं की जिन्नाह इतिहास हैं इसलिए उसे हटाया नही जा सकता पर हम उसके समर्थक नही है और ये बात हैरानगी वाली है क्यूंकि कुछ महीने पहले इन्हें छात्रों ने भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी यूनिवर्सिटी आने का विरोध किया था क्यूंकि वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक कार्यकर्ता थी कई साल पहले हालांकि रामनाथ कोविंद जी के ऊपर कोई दंगा भड़काने या किस्सी भी तरह की सांप्रदायिक हिंसा फेलाने का कोई आरोप नही है जैसे की मुहमद अली जिन्नाह पर था जिसकी 2 राष्ट्रों की सोच ने 12 लाख हिन्दुस्तानियों की जान ले ली और लाखो के करीब हिन्दुस्तानी जिसमें सब धर्मो के लोग शामिल थी उन्हें उनके घारो से निकलवा दिया और 2 ऐसे देशो का निर्माण हुआ जो अब तक 4 जंगे लड़ चुके हैं तो ये बहुत चौंकाने वाली बात हैं जिससे छात्र संघ के इन नेताओ क्ले ऊपर सवाल खाडे होते हैं और अगर जिन्नाह एक इतिहास है तो हिटलर और मुस्सोलीनी भी है इतिहास पर उनके पोस्टर्स या पिक्टुरेस तो कही नही देखे है हमने.
खेर ये पहली बार नही हैं इसे पहले दिल्ली की जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में जब फरवरी 2016 में कुछ अराजक तत्वों ने अफज़ल गुरु की शहीदी पर कार्यकर्म रख क्र भारत की बर्बादी ने नारे लगाये तो वह भी हंगामा सिर्फ 10 से 15 अराजक तत्वों के कारन पूरा विश्वविद्यालय लड़ाई का मैद्सन बन गाय और वो विश्वविद्यालय जिसने इस देश को निर्मला सीतारमण (रक्षा मंत्री, भारत सरकार) , डॉ सुब्रमण्यम जयशंकर (पूर्व विदेश सलाहकार), आशुतोष (आप नेता) और सौरभ दिवेदी (संपादक , lallantop.इन ) जैसे लोग दिए बदनाम हो गई और जब ये मामला बाड़ा तो एक क़तार्वादी संगठन इसे बंद करवाने की मांग की ये कह कह कर की ये आतंकवादियों का अड्डा बन गाया हैं खुद टीवी मीडिया कई लोग ये कहते हुए पायी गाये की इस यूनिवर्सिटी में अराजक तवो का अड्डा बन गाया है खुद सत्ता धरी पार्टी के एक बाड़े नेता के भी ये कह दिया की ये आतंकवादियों का अड्डा है तब वह के छात्र संघ के लोग जो की एक विचारधारा के लोग थी सामने तो आये यूनिवर्सिटी को बचाने के लिए पर किसे ने भी भी इस घटना की निंदा नही की बल्कि सत्ता धारी पार्टी और उनके चतरा संघ जो की JNU में काफी ज्यादा एक्टिव था उस पर दलित आदिवासी और अल्पसंख्यक लोगो के मामलो पर हमला बोल दिया जिसने भारत का गुस्सा और बाड़ा दिया जब कुछ छात्रों की गिरफ्तारी हुई कानून के मुताबिक तो भारत के काई यूनिवर्सिटीज में हुआ जिन में एक जादवपुर यूनिवर्सिटी भी थी वह पर पुलिस और छात्रों मे काफी घमासान झड़प हुई क्यूंकि वह के छात्र JNU के समर्थन में खाडे थे
इस मामले में हर हिन्दुस्तानी के एक ही राय है की यूनिवर्सिटीज पढाई लिखाई की जगह है उसी ये सब राजनेतिक दल अपनी लड़ाई का अखाडा ना बनाये इस देश के लाखो छात्र इन 2 यूनिवर्सिटीज में पढने का खवाब देखते है क्यूंकि ये दो यूनिवर्सिटीज दिल्ली यूनिवर्सिटी या पंजाब यूनिवर्सिटी की तरह एक बहुत बाड़ी यूनिवर्सिटीज हा जहा पर लोगो को नई राहा मिली है.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने अपने एक लेख में लिखा था की छात्रों को राजनीती से दूर रहना चाहिए और अपनी पढाई और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए हालांकि कई लोग इस बात से सिर्फ आधे सहमत है वो मानते हैं छात्रों को पढाई कर भविष्य पर ध्यान देना चाहिए पर राजनीती में युवाओ का होना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि इतिहास गवाह रहा की चाह्त्रो के गुस्से के सामने बड़ी बड़ी सरकारे धरासाही हुई है और इस ताकत को हम स्टूडेंट्स पॉवर के नाम से जानते है पर इन् चंद छात्र संगठनों को पंडित मालवीय जी के डर को सच साबित नही करना चाहिए
गलत लोग तो कही भी हो सकते है पर उन चंद लोगो की वजह से पूरे यूनिवर्सिटी को गलत कहना क्या सही होगा जैसा आज कल कुछ लोग ऑनलाइन जगत में कर रहे हैं पहले JNU और अब AMU नही वो सही नही हैं ये दोनों ही विश्वविद्यालय भारत की पहचान है
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