आज
सुबह से ही ऑपरेशन ब्लु स्टार पर पूरे सोशल मीडिया में बहस शुरू हो गई है इस पर
चर्चा हो रही है की ये फैसला सही था या गलत पर क्या इस बात पर चर्चा नही होनी
चाहिए की ऐसा हुआ क्यू और कैसे भारत का एक सबसे आमिर राज्य , खेती प्रधान राज्य और पूरे भारत का अन्दाता 10 साल तक नरक की आग
में जला इस कहानी की शुरुआत कुछ ऐसे हुई
१९७७ के आम चुनावो में आपातकाल का फैसला लेने के कारण इंदिरा
गाँधी को चुनाव हारना पडा और पंजाब में भी मुख्यमंत्री ज्क्सैल सिंह और कांग्रेस
को शिरोमणि अकाली दल ने चुनावो में हारा दिया और फिर प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब के
नये मुख्यमत्री के रूप में शपथ ली और यही से कांग्रेस ने एक ऐसे व्यक्ति की कोज
शुरू की जो की पंजाब में अकाली दल को टक्कर दे सके भारत के बड़े पत्रकार कुलदीप
सिंह नय्यर ने अपनी किताब beyond the line an autobiography में लिखा था की दरबारा सिंह और ग्यानी जैल सिंह जी ने 2 आदमियों का चुनाव
किया जिन्हें बाद में संजय गाँधी से मिलाया गया पहला व्यक्ति संजय को ख़ास पसंद नही
आया पर भिंडरावाले का अक्कड़ और तिक्खे स्वाभाव उन्हें बहूत पसंद आये और उन्होंने
आपनी योजना में भिंडरावाले को शामिल किया और फिर ३ साल बाद १९८० में इंदिरा गाँधी और
कांग्रेस की केंद्र में और पंजाब में वापसी हुई ग्यानी जैल सिंह जो को जहाँ देश का
गृहमंत्री बनाया गाया वही उनके राजनेतिक विरोधी और कांग्रेस के बाड़े नेता दरबारा
सिंह को पंजाब का नया मुख्यमत्री बनाया गाया.
पंजाब के पानी का मसला
पंजाब में गृह युद्ध का एक कारण इस मामले को भी मना जाता
हैं कहा जाता है की १९७२ में पंजाब के अनंतपुर साहिब में एक प्रस्ताव पारित हुआ था
जिसमें ये कहा गाया था की पंजाब का पानी पंजाब को दिया जाए और चंडीगढ़ को पंजाब
राज्य को देना जब १९८४ में नरसिम्हा राव जी बातचित की पेशकश की थी तब भी यही एक
प्रस्ताव भिंडरावाले को भेजा था प्रकाश सिंह बादल, गुरचरण सिंह तोहरा और संत हर्चान
सिंह लोंगोवाल के ज़रिये जिसे कुछ वजहों से नही अपनाया गाया अब वो वजहे क्या थी उसे
देखना चाहिए
दरबारा सिंह जी का कार्यकाल
दरबारा सिंह १९८० में पंजाब राज्य के मुक्यमत्री बने और
कहते है की वो भिंडरवाले के खिलाफ थे पर उनके राजनेतिक विरोधी और देश के गृहमंत्री
ग्यानी जैल सिंह भिंडरवाले को समर्थन करते थे इसलिए आगे जा कर उन्हें बहुत मुश्किलों
का सामना करना पडा ऐसा ही एक किसा था पंजाब पुलिस के बड़े अधिकारी अवतर सिंह अटवाल का
जो की पंजाब पुलिस में पुलिस उप महानिरीक्षक थे जिन्हें २५ अप्रैल १९८३ को स्वर्ण
मंदिर बाहार भिंडरवाले के लोगो ने गोली मारी जिससे उनके मौत हो गई और बहुत समय तक
उनकी लाश वह पड़ी रही पर किसी भी पुलिस वाले की हिम्मत नही हुई उसे उठाने की फिर
पंजाब के मुख्यमत्री दरबारा सिंह जी के दफ्तर से एक कॉल गाया जरनैल सिंह को जिसमें
ये अपील की गई भिंडरवाले से की उनके लाश ले जाने की अनुमति दी जाये जिसे
भिन्दर्वाले ने मान लिया और इस बात का खुलासा बीबीसी के पत्रकार सतीश जैकब ने एक
इंटरव्यू में किया था
अवतर सिंह अटवाल की
हत्या के बाद दरबारा सिंह जी ने स्वर्ण मंदिर में पुलिस को भेजने की सलाह दी जिसे
इंदिरा गाँधी जी ने जैल सिंह की राय पर मना कर दिया और आज से ठीक ३५ साल पहले आज
ही के दिन उन्हें मुख्यमत्री की कुर्सी से हटा कर पूरे पंजाब में राष्ट्रपति शासन
यानी आर्टिकल ३५६ लगाया गाया जो की बहुत बड़ी भूल मानी गयी इंदिरा गाँधी की क्यूंकि
कायो का मन्ना था की दरबारा सिंह जी उन चंद लोगो में से एक थी जो की भिंडरवाले के
खिलाफ सख्त कदम उठा सकते थे और इस फैलसे से एक बाड़े नेता का केंद्र से संपर्क कट
गाया
लाला जगत नारायण की हत्या
9 सितम्बर १९८१ को पंजाब केसरी के संपादक लाला जगत नरेन की
हत्या चंद लोगो ने क्र दी जब वो अपनी एम्बेसडर गाडी से कही जा रहे थे हत्या का शक्
भिंडरवाले पर गाया जिस की वजह से वो जैल भी गाये क्यूंकि लाला जगत नारायण हमेशा से
ही भिंडरवाले के विरोधी थे और अपने लेखो के ज़रिये उनका विरोध क्र रहे थी उनके कतल
के बाद जब भिंडरावाले के खिलाफ वार्रेंट निकला तब वो महाराष्ट में में बाद में वो
पंजाब आये जहा उन्हें गिरफ्तार किया गाया लेकिन फिर बाद में उन्हें रिहा कर दिया
गाया सबूतों के आभाव में जिसके बारे में ग्यानी जेल सिंह जी ने संसद में बताया था
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता श्री हरकिशन सिंह
सुरजीत ने संसद में कांग्रेस और अकाली दल पर भिन्द्रले को समर्थन देने का आरोप
लगाया था
तो ये थे कुछ वाकया
ऑपरेशन ब्लू स्टार स्टार से पहले के ऐसे और और भी मामले है जिन में तब की सरकार की
नाकामी या कोशिश का बयोरा मिलता हैं तो एक सवाल पूछे जाना ज़रूरी है की क्या ये सब
जो हुआ उसे रोका जा सकता था या नही
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