आज इंटरनेट पर 1995 में साउथ अफ्रीका में हुए रग्बी वर्ल्ड कप की कहानी पढ़ी और वो कहानी पढ़ कर मन में नेल्सन मंडेला के लिए इज़्ज़त और भी बढ़ गयी कहा जाता है तब साउथ अफ्रीका को रंगभेद से आज़ादी लिए एक साल ही पूरा हुआ था अभी भी काले और गोरे लोगो के बीच में मतभेद थे और जब ये वर्ल्ड कप हुआ तब देश के काले लोग इसमें दिलचस्प नहीं थे क्यूंकि रग्बी गोरो का खेल थी कालो ने कभी ये खेला भी नहीं था और उसे वह अपने ऊपर हुए ज़ुल्म का प्रतिक मानते थे पर नेल्सन मंडेला ने टॉय किया की अगर साउथ अफ्रीका के गौरे और कालो को साथ लाना हैं तो रग्बी को बढ़ावा देना होगा उस वक़्त एक नारा दिया नेल्सन मंडेला ने दिया "एक देश एक खेल" जिसके बाद काले लोग इस खेल को देखने पहुंचे और नेल्सन मंडेला खुद रग्बी टीम की वर्दी पहन कर बैठे थे स्टेडियम में और जो लोगो का जमावड़ा था पूछो मत नेल्सन मंडेला का एक ही सपना था काले और गोरो में नफरत ना हो इस्सलिये उन्होंने कभी भी बदला नहीं लिया गोरो से और सब को अपना भाई माना और जब इस खेल का फाइनल हुआ नेवजीलैंड के खिलाफ तो वह मैच साउथ अफ्रीका जीत गाय और जब नेल्सन मंडेला अपने टीम स्टेडियम के अदर गाये अपनी टीम को बधाई देने के लिए तो वह खड़ा सारे लोग चाहे गोरे हो या काले सब चीला रहे थे मंडेला मंडेला सच में ऐसा लगता है की तभी असल मायने में साउथ अफ्रीका आज़ाद हो गाय तब जब उस टीम के कप्तान पुछा गाय की जो यह 65000 लोग आपके लोग आपको यहाँ इस स्टेडियम में सपोर्ट कर रहे है इन्हे क्या कहना चाहेंगे तो कप्तान ने कहा की वह 65000 नहीं बल्कि 4 करोड़ 30 लाख साउथ अफ्रीका हैं जो हमे सपोर्ट कर रहे हैं और यह कहते हुआ कप्तान की आँखों में आंसू आ गए और जब मंडेला ने कप्तान को ध्यानवाद किया इस जीत के लिए तो कप्तान ने उनको धन्यवाद् किया ये देश बनाने के लिए और इन सब का श्रेय नेल्सन मंडेला को जाता है जिन्होंने साउथ अफ्रीका को एक ज़ालिमाना और रंग भेदी मुल्ख से एक खुशाल मुल्ख बनाया.
मंडेला सच में हमे गाँधी जी की याद दिलाते है की ज़ुल्म के खिलाफ लड़ो मगर विरोधियो को अपना दुश्मन न बनाओ यही हमे सिखाते हैं
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